देहरादून।वैसे तो यूजेवीएनएल एक राज्य स्तरीय स्वतंत्र संस्था है,लेकिन यहाँ के सारे कायदे कानून सरकार द्वारा ही निर्धारित किये जाते है,जो कि राज्य बनने से लेकर अभी तक चले आ रहे है।
लेकिन फिलहाल ऐसा प्रतीत हो रहा है कि यूजेवीएनएल का महकमा इन शासनादेशों की अनदेखी कर रहा है।
क्या है मामला
यूजेवीएनएल में वितीयवर्ष 2016-17 ,लगभग 100 सहायक अभियन्ताओं की नियुक्ति हुई जिन्हें क्रमशः फरवरी 2017 में नियुक्ति दी गई,और प्रबंधन द्वारा छठवे वेतनमान के अनुसार उनका वेतन प्राधिकार पत्र जारी किया गया ,जिनमें उनका वेतन 3 वार्षिक वेतन वृद्धि के अनुसार 17440 ₹ निर्धारित किया गया,उसके उपरांत दिनाँक 02/01/2018 को प्रबन्ध निदेशक द्वारा यूजेवीएनएल में सातवें वेतनमान की शासन से स्वीकृति के बाद अनुमति दी,
उक्त शासनादेश सँख्या 1585/I2/2017-05-34/2016 के बिन्दू 4 से ऊर्जा सचिव द्वारा स्वीकृत होकर लिखा गया है कि दिनाँक 01/01/2016 से 30/11/2017 तक नियुक्त समस्त नवनियुक्त कर्मियों को वेतन संरक्षण का लाभ मिलेगा। लेकिन निगम प्रबंधन में उक्त शासनादेश को दरकिनार करते हुए ,समस्त नव नियुक्त सहायक अभियंताओ का सातवें वेतनमान में प्रारंभिक वेतन 17440₹ के बजाय 15600₹ पर निर्धारित किया है,जिससे की इन कर्मचारियों को भारी वितीय हानि हो रही है।
ऊर्जासचिव फिलहाल विदेश दौरे पर है,तो इस बाबत उसने कोई वार्तालाप नही हो पाया, इस सम्बन्ध में यूजेवीएनएल प्रबंधन भी गोलगोल जबाब दे रहा है,वही उत्तरांचल पावर इंजीनियर एसोशिएशन इस मुद्दे पर निगम प्रबंधन को घेरने के लिये पूरी तरह तैयार है। वही सारे नवनियुक्त सहायक अभियंताओ में इस चीज को लेकर रोष व्याप्त है।
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